“आयुष विभाग के कर्मचारियों को नहीं मिला वेतन – जिम्मेदार अधिकारी सुरत्ना सिंह चौहान की लापरवाही ने किया हलाकान!”

नरसिंहपुर, SMP24News | विशेष रिपोर्ट | Updated: 3 मई 2025
Keywords: नरसिंहपुर आयुष विभाग, सुरत्ना सिंह चौहान, वेतन में देरी, मध्य प्रदेश सरकार, कर्मचारी संकट, 1 मई 2025, सरकारी वेतन संकट
📰 सरकारी आदेश के बावजूद वेतन में देरी
मध्य प्रदेश सरकार ने आदेश जारी किया है कि सभी सरकारी कर्मचारियों को हर माह की 1 तारीख को समय पर वेतन मिलना चाहिए। इसका उद्देश्य कर्मचारियों की आर्थिक स्थिरता और उनके परिवार की जरूरतों को सुरक्षित रखना है। लेकिन नरसिंहपुर आयुष विभाग में इस आदेश का पालन नहीं हुआ। विभाग की प्रभारी सुरत्ना सिंह चौहान की लापरवाही और मनमानी के कारण, कर्मचारियों को अब 5 मई 2025 तक वेतन का इंतजार करना पड़ रहा है।
👥 कितने कर्मचारी प्रभावित?
आयुष विभाग नरसिंहपुर में कार्यरत कर्मचारियों की स्थिति:
✅ 20+ आयुष चिकित्सक
✅ 50 कंपाउंडर
✅ 40 महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता
✅ 20+ दवासाज
✅ दर्जनों सफाई कर्मचारी और सपोर्ट स्टाफ
ये सभी कर्मचारी होम लोन, बच्चों की फीस, किराया, और इलाज जैसे खर्चों के लिए समय पर वेतन पर निर्भर हैं।
👩⚕️ कर्मचारियों की स्थिति: उधार लेकर गुज़ारा एक महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता ने कहा:“बच्चों की स्कूल फीस भरनी है, मकान मालिक किराया मांग रहा है। हमें मजबूरी में उधार लेना पड़ रहा है।”
🗓️ 3 और 4 मई को छुट्टी, अब 5 मई की उम्मीद
इस बार 3 मई शनिवार और 4 मई रविवार होने के कारण सरकारी प्रक्रिया और अटक गई है। अब वेतन मिलने की उम्मीद 5 मई 2025 को है।
😷 प्रशासनिक डर: आवाज उठाने पर ट्रांसफर का खतरा
कर्मचारी खुलकर शिकायत नहीं कर पा रहे हैं। एक चिकित्सक ने बताया: “अगर हमने आवाज उठाई तो ट्रांसफर कर दिया जाएगा या और परेशान किया जाएगा।”
📉 वेतन में देरी के प्रभाव
🔸 आर्थिक संकट: उधारी और कर्ज बढ़ रहा है
🔸 मानसिक तनाव: तनाव के कारण कार्यक्षमता में गिरावट
🔸 सरकारी छवि पर सवाल: शासन के निर्देशों की खुलेआम अनदेखी
❓ महत्वपूर्ण सवाल
क्या सुरत्ना सिंह चौहान पर कार्रवाई होगी?
क्या मध्य प्रदेश सरकार वाकई अपने आदेशों को लागू करवा पाएगी?
क्या कर्मचारी हर महीने ऐसे ही वेतन के लिए संघर्ष करते रहेंगे?
🔚 निष्कर्ष: अब और देर नहीं नरसिंहपुर आयुष विभाग में वेतन न मिलने से सैकड़ों परिवार आर्थिक संकट में हैं। सुरत्ना सिंह चौहान की मनमानी ने कर्मचारियों की आर्थिक और मानसिक स्थिति को प्रभावित किया है।
अब समय है कि राज्य सरकार हस्तक्षेप करे और वेतन भुगतान प्रणाली में सुधार लाए।
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