📰 नरसिंहपुर के फिटनेस सेंटरों में मोटी वसूली, मासिक शुल्क इतना कि लोग वार्षिक पैकेज लेने को मजबूर

📰 नरसिंहपुर के फिटनेस सेंटरों में मोटी वसूली, मासिक शुल्क इतना कि लोग वार्षिक पैकेज लेने को मजबूर
नरसिंहपुर शहर में फिटनेस का क्रेज़ दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। युवाओं से लेकर मध्यम आयु वर्ग तक लोग अपनी सेहत को लेकर सजग हो रहे हैं और जिम का रुख कर रहे हैं। लेकिन इन फिटनेस सेंटरों की फीस वसूली की नीति अब चर्चा और नाराज़गी का विषय बन गई है।
💰 मासिक शुल्क महंगा, वार्षिक पैकेज का लालच
शहर के कई फिटनेस सेंटरों में मासिक शुल्क इतना अधिक रखा गया है कि कोई भी व्यक्ति मजबूरी में वार्षिक पैकेज चुनने पर विवश हो जाता है। जिम संचालक वार्षिक पैकेज को “फायदे का सौदा” बताकर युवाओं को एकमुश्त मोटी रकम जमा कराने पर जोर देते हैं। लेकिन हकीकत यह है कि पूरे साल नियमित रूप से जिम जाना हर किसी के लिए संभव नहीं हो पाता।
🔎 फिटनेस सेंटर का राज़
👉 एक जिम संचालक से बातचीत में सामने आया कि वार्षिक पैकेज लेने वालों को करीब 62% तक सस्ती सुविधा मिलती है, जबकि मासिक शुल्क चुकाने वाले सदस्य ढाई गुना तक ज्यादा भुगतान कर रहे हैं।
💰 जेब पर भारी, पैकेज में राहत
👉 मासिक भुगतान करने वाले लोग जहाँ अपनी जेब पर अतिरिक्त बोझ डाल रहे हैं, वहीं वार्षिक पैकेज लेने वालों को बड़ी राहत मिल रही है।
📊 बड़ा अंतर, बड़ा सवाल
👉 इतना बड़ा प्रतिशत अंतर साफ़ बताता है कि फिटनेस सेंटर लोगों को मासिक की जगह वार्षिक पैकेज लेने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
⏳ आधा साल भी नहीं जाते, फीस वापस नहीं
जिम कर रहे कुछ युवाओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वे वार्षिक शुल्क जमा तो कर देते हैं, लेकिन कुछ महीनों के बाद ही नियमित रूप से जिम जाना छोड़ना पड़ता है। बावजूद इसके, उनकी जमा की गई फीस वापस नहीं होती।
👨👩👦 युवा माता-पिता पर निर्भर
ज्यादातर जिम जाने वाले युवा अभी पढ़ाई कर रहे हैं और आर्थिक रूप से अपने माता-पिता पर निर्भर हैं। ऐसे में वार्षिक शुल्क चुकाना उनके परिवार के लिए बड़ा बोझ बन जाता है। कई बार महंगी फीस चुकाने में असमर्थ माता-पिता बच्चों को जिम जॉइन नहीं करा पाते। युवाओं का कहना है कि इस वजह से उनमें हीन भावना पैदा होती है और वे अपने साथियों के बीच असहज महसूस करते हैं।
❓ मोटी वसूली पर सवाल
लोगों का कहना है कि फिटनेस सेंटरों ने स्वास्थ्य सुधारने की जगह शुल्क वसूली को कारोबार बना लिया है। महंगी फीस और वार्षिक पैकेज की मजबूरी से आम लोग परेशान हैं। शहर में यह चर्चा तेज हो गई है कि जिम संचालकों को अपनी फीस वसूली की पॉलिसी में पारदर्शिता और लचीलापन लाना चाहिए।