15/05/2025

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नरसिंहपुर विद्युत विभाग में RTI का घोर उल्लंघन: विवेक जसेले और ठेकेदार बृजेश मिश्रा से जुड़ी जानकारी दबाई गई

विवेक जसेले RTI विवाद नरसिंहपुर

सूचना के अधिकार की अनदेखी पर RTI कार्यकर्ताओं में नाराज़गी

कार्यपालन अभियंता विवेक जसेले और ठेकेदार बृजेश मिश्रा के मामले में मांगी गई सूचना पर चुप्पी, अपील के बावजूद नहीं मिला जवाब
📍 स्थान: नरसिंहपुर, मध्यप्रदेश
📅 प्रकाशन तिथि: 16 अप्रैल 2025
✍️ रिपोर्ट: smp24news ब्यूरो

🔎 मुख्य खबर
नरसिंहपुर।
जिले के विद्युत विभाग में सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 (RTI Act) का गंभीर उल्लंघन सामने आया है। दो अलग-अलग आरटीआई आवेदनों के माध्यम से कार्यपालन अभियंता विवेक जसेले और ठेकेदार बृजेश मिश्रा से संबंधित जानकारी मांगी गई थी, लेकिन विभाग ने इन दोनों मामलों में सूचना देने से साफ इनकार कर दिया। लोक सूचना अधिकारी प्रसून शर्मा ने न तो आरटीआई के तहत जानकारी उपलब्ध कराई और न ही कारण स्पष्ट किया। इसके बाद नियमानुसार प्रथम अपील की गई, जो विवेक जसेले (प्रथम अपीलीय अधिकारी) के पास पहुँची। परंतु अपील के बाद भी न कोई उत्तर मिला, न कोई दस्तावेज उपलब्ध कराए गए।
🚫 लोक सूचना अधिकारी प्रसून शर्मा की संदिग्ध भूमिका
लोक सूचना अधिकारी प्रसून शर्मा का नाम पहले भी RTI मामलों में चर्चा में रहा है। उन्हें सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारियों को समय पर और पारदर्शिता से न देने के लिए विवादास्पद अधिकारी माना जाता रहा है। स्थानीय RTI कार्यकर्ताओं और जागरूक नागरिकों का कहना है कि प्रसून शर्मा द्वारा दायर की गई अधिकतर RTI याचिकाओं पर या तो कोई जवाब नहीं दिया जाता या फिर उन्हें अनावश्यक तकनीकी कारणों का हवाला देकर खारिज कर दिया जाता है। यह रवैया न सिर्फ RTI अधिनियम 2005 की मूल भावना के खिलाफ है, बल्कि यह आम जनता के सूचना प्राप्त करने के संवैधानिक अधिकार को भी सीधे तौर पर चुनौती देता है। RTI कार्यकर्ताओं का यह भी आरोप है कि प्रसून शर्मा विभागीय अधिकारियों की गलतियों और गड़बड़ियों को छिपाने के लिए जानबूझकर जवाब नहीं देते। इससे RTI कानून की प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
⚖️ कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन
RTI कानून के अनुसार:
लोक सूचना अधिकारी को 30 दिनों के भीतर जानकारी देना अनिवार्य है
प्रथम अपीलीय अधिकारी को 45 दिनों के भीतर निर्णय देना होता है
लेकिन इन दोनों स्तरों पर समय सीमा बीतने के बावजूद कोई भी कार्रवाई नहीं हुई, जो सीधे तौर पर RTI कानून का उल्लंघन है।
📢 जनहित में जांच की उठी मांग
RTI कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों ने इस पूरे मामले की स्वतंत्र जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि इस तरह की जानकारी लगातार दबाई जाती रही, तो RTI कानून की प्रासंगिकता खत्म हो जाएगी। smp24news ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए संबंधित विभागों को पत्र भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

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