जिला आयुष अधिकारी सुरत्ना सिंह चौहान के राज में आयुष औषधालय बंद! मुँगवानी-खापा में ताले, इलाज को तरस रहे ग्रामीण
नरसिंहपुर। एक ओर सरकार ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के दावे कर रही है, वहीं ज़मीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। जिले के मुँगवानी और खापा गांवों में स्थित शासकीय आयुर्वेदिक औषधालय ताले बंद पड़े हैं, जिससे इलाज के लिए ग्रामीण इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं।
औषधालय या वीरान भवन?
मुँगवानी के आयुर्वेदिक औषधालय में डॉक्टर और कर्मचारियों के नाम तथा मोबाइल नंबर भले ही दीवारों पर चमक रहे हों, लेकिन हकीकत यह है कि वहां कोई मौजूद नहीं रहता। केंद्र के बाहर “शासकीय आयुर्वेदिक औषधालय” का बोर्ड जरूर लगा है, मगर अंदर ताले लटक रहे हैं।
खापा केंद्र भी नहीं है अपवाद
खापा में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है। वहां औषधालय के बाहर तय समय सुबह 9 से 1 और दोपहर 2 से 4 बजे तक खुला रहने की जानकारी दी गई है, लेकिन हकीकत यह है कि दरवाजों पर जंग लग चुका है। इससे साफ है कि यह केंद्र महीनों से नहीं खुला।
ग्रामीणों की पीड़ा, अफसरों की चुप्पी
ग्रामीणों का कहना है कि ये औषधालय केवल कागजों में चल रहे हैं। न तो कोई डॉक्टर आता है, न कोई औषधि मिलती है। कई बार शिकायतें करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में
जिला आयुष अधिकारी सुरत्ना सिंह चौहान के संरक्षण में जिले के अधिकांश आयुष औषधालय या तो बंद हैं या नाममात्र के लिए चालू हैं। सवाल उठता है कि क्या इन केंद्रों पर सरकारी बजट खर्च हो रहा है? अगर हाँ, तो वह किसकी जेब में जा रहा है?
क्या कभी जागेगा प्रशासन?
स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित ग्रामीण अब उम्मीद लगाए बैठे हैं कि शायद कोई जिम्मेदार अधिकारी इस बदहाली पर संज्ञान लेगा और व्यवस्था में सुधार होगा।