मनोज शरणागत प्रभार में होते हुए बालाघाट रवाना, न वरिष्ठों से अनुमति ली, न संकुल प्राचार्य ने रोका! “शिक्षक की छुट्टी की अर्जी में झलकी मासूमियत या अशिक्षा? शिक्षा व्यवस्था पर उठते गंभीर सवाल!”

📍 स्थान: झामर/कुरेला (SMP24NEWS)
📅 दिनांक: 11 अप्रैल 2025
📌 प्रभार में रहते हुए गैरहाजिर!
मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले के झामर संकुल अंतर्गत प्राथमिक शाला कुरेला में पदस्थ प्राथमिक शिक्षक मनोज शरणागत की लापरवाही अब शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा प्रश्नचिह्न बनकर उभर रही है।
विद्यालय के प्रधान पाठक सुनील उपमन्यु के मेडिकल अवकाश पर होने के कारण शाला का प्रभार मनोज शरणागत को सौंपा गया था।
इसके बावजूद, उन्होंने न केवल जिम्मेदारी को नजरअंदाज किया बल्कि बिना किसी वरिष्ठ अधिकारी की अनुमति और बिना सूचना के 9 अप्रैल 2025 को बालाघाट रवाना हो गए।
📲 व्हाट्सएप पर भेजा आवेदन – जवाबदेही से बचने की तरकीब?
मनोज शरणागत ने छुट्टी का आवेदन 11 अप्रैल की सुबह यानी बालाघाट रवाना होने के 2 दिन बाद स्कूल के व्हाट्सएप ग्रुप पर भेजा।
❌ न तो छुट्टी पूर्व स्वीकृत कराई गई
❌ न ही वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी दी गई
यह स्पष्ट रूप से शासकीय नियमों की अवहेलना और लापरवाही है।
📝 ‘बच्चों जैसी भाषा’ में छुट्टी पत्र, बना मज़ाक का कारण
शरणागत द्वारा भेजे गए आवेदन की भाषा भी चर्चा का विषय बन गई है। पत्र में लिखा था:
“प्राचार्य महोदय जी,
सविनय निवेदन है कि मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं है जिससे मैं दिनांक 11/04/2025 को विद्यालय नहीं आ पा रहा हूं।
आपसे निवेदन है कि मुझे एक दिन का CL स्वीकृत करें।
प्रार्थी –
मनोज शरणागत, सहायक शिक्षक”
“ऐसा शिक्षक क्या शिक्षा देगा जो खुद का आवेदन भी बच्चों जैसी भाषा में लिखता है?”
🔇 संकुल प्राचार्य की चुप्पी भी सवालों में
संकुल प्राचार्य सोमराज धानका ने भी न तो मनोज शरणागत को रोका, और न ही उच्च अधिकारियों को सूचना दी। यह मूक स्वीकृति, संकुल स्तर पर लापरवाही को दर्शाती है।
📞 BEO और प्राचार्य से संपर्क नाकाम
SMP24NEWS ने इस मामले पर ब्लॉक शिक्षा अधिकारी प्रशी अग्रवाल और संकुल प्राचार्य सोमराज धानका से संपर्क किया।
हालांकि, दोनों ने कॉल रिसीव नहीं किए।
⚠️ शिक्षा व्यवस्था पर सवाल
जब एक प्रभारी शिक्षक बिना सूचना के गैरहाजिर हो जाए, और अधिकारी मौन रहें, तो यह सिस्टम की गहरी कमजोरी को उजागर करता है।