“नरसिंहपुर में गोवंश एनेस्थीसिया इंजेक्शन कांड में कोई कार्रवाई नहीं, डॉ. सार्थक दोषी को बचाने में जुटे।

वीडियो से ली गई तस्वीर: नरसिंहपुर में उपराष्ट्रपति दौरे से पहले एक ड्राइवर द्वारा गोवंश को बेहोश करने के लिए इंजेक्शन लगाते हुए। प्रशासनिक आदेश या अमानवीयता?
नरसिंहपुर: गोवंश इंजेक्शन कांड में कार्रवाई नहीं, डॉ. सार्थक दोषी को बचाने में जुटे!
नरसिंहपुर शहर में पशु क्रूरता की अमानवीय घटना ने प्रशासन की संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। उपराष्ट्रपति के कार्यक्रम की तैयारियों के दौरान, निराश्रित गोवंशों को जबरन हटाने के लिए 26 मई को कुछ पशुओं को बेहोशी की दवा लगाकर सड़कों से हटाया गया। इस अमानवीय कार्रवाई का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है, जिसमें ड्राइवर गोपाल मेहरा एक पशु को इंजेक्शन लगाते हुए सुनाई दे रहा है।
मामले की पूरी जानकारी
उपराष्ट्रपति के आगमन से पहले प्रशासन ने शहर की सड़कों को साफ करने के लिए निराश्रित गोवंशों को हटाने का निर्देश दिया। इस दौरान 5 एमएल एनेस्थीसिया के इस्तेमाल से पशुओं को बेहोश किया गया, जो कानूनी और मानवीय नियमों का उल्लंघन है। घटना के वक्त मौके पर मौजूद थे पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. सार्थक विश्वकर्मा, पशु उपसंचालक डॉ. अजगर खान, और अन्य अधिकारी, परन्तु उन्होंने कार्रवाई को रोकने के बजाय इसे अनुमति दी।
5 एमएल एनेस्थीसिया का असर और खतरा
एनेस्थीसिया की यह मात्रा जानवर के लिए अत्यंत खतरनाक हो सकती है। यह दवा फेफड़ों और हृदय की क्रियाओं को धीमा कर सकती है, जिससे जानलेवा परिणाम भी हो सकते हैं। बिना डॉक्टर की सटीक निगरानी के इस दवा का प्रयोग पशु क्रूरता कानून का उल्लंघन है।
जिम्मेदार कौन?
- डॉ. सार्थक विश्वकर्मा (पशु चिकित्सा अधिकारी)
- आकाश अग्रवाल (AVFO)
- गोपाल मेहरा (ड्राइवर)
डॉ. सार्थक ने इस घटना का बचाव करते हुए कहा कि यह “निर्देशानुसार” किया गया था, जो विभागीय लीपापोती की ओर इशारा करता है।
जनता की प्रतिक्रिया और मांगें
स्थानीय पशु प्रेमी और समाजसेवी इस घटना से गहरे आहत हैं। मानद पशु कल्याण प्रतिनिधि भागीरथ तिवारी ने कहा, “अगर आप गौमाता कहते हैं तो चुप रहना पाप होगा। दोषियों को बख्शा गया तो यह गोहत्या के समान ही पाप होगा।”
जनता की मांग है कि इस मामले की स्वतंत्र जांच हो, दोषियों पर FIR दर्ज हो, और उन्हें निलंबित किया जाए। साथ ही विभागीय कार्यप्रणाली की भी समीक्षा हो। गौ रक्षा को लेकर यह मामला और भी संवेदनशील हो गया है।
निष्कर्ष
अगर इस घटना में दोषियों को उचित सजा नहीं मिली, तो यह केवल पशु क्रूरता का मामला नहीं रहेगा, बल्कि सामाजिक न्याय की भी परीक्षा होगी। प्रशासन की संवेदनशीलता पर बड़ा प्रश्नचिह्न लग जाएगा।
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5 ml एनेस्थीसिया (Anesthesia) के परिणाम और कारण
एनेस्थीसिया यानी “बेहोशी की दवा”, जो आमतौर पर पशुओं को सर्जरी या ट्रांसपोर्ट के समय दी जाती है। लेकिन जब इसे बिना डॉक्टर की निगरानी और गलत मात्रा में दिया जाता है, तो इसके घातक परिणाम हो सकते हैं:
संभावित दुष्परिणाम:
- अत्यधिक बेहोशी या कोमा: 5 ml डोज़ अगर औसतन 200-250 किलो वज़न के गोवंश को दी जाए, तो यह ज्यादा मात्रा हो सकती है। इससे गहरी बेहोशी आ सकती है जिससे जानवर की मृत्यु भी संभव है।
- हृदय गति धीमी होना (Bradycardia): दवा दिल की धड़कनों को धीमा करती है, जिससे दिल की धड़कन बंद हो सकती है।
- श्वसन रुकना (Respiratory Depression): फेफड़ों की क्रिया धीमी पड़ सकती है जिससे जानवर को सांस लेने में कठिनाई होती है।
- हाइपोटेंशन (Hypotension): रक्तचाप गिरने से दिमाग और दिल तक ऑक्सीजन नहीं पहुंचती, जिससे ऑर्गन फेल्योर हो सकता है।
- स्थायी तंत्रिका क्षति: समय पर होश न आने पर मस्तिष्क को स्थायी नुकसान हो सकता है।
यह इंजेक्शन क्यों लगाया गया?
यह कानून और नैतिकता दोनों का उल्लंघन है। इसके बावजूद यह कुछ कारणों से किया गया:
- प्रशासनिक दबाव: उपराष्ट्रपति के कार्यक्रम से पहले सड़कों को “साफ” करने की जल्दी में गोवंशों को हटाने का दबाव।
- मानवीय रहित रवैया: गोशाला तक ले जाने की मेहनत से बचने के लिए ड्राइवर से इंजेक्शन लगवाया गया।
- गोपनीय आदेश: मौखिक रूप से आदेश दिया गया हो कि “जो करना है, कर लो – बस जानवर कार्यक्रम में न दिखें।”
क्या यह वैध था?
बिलकुल नहीं। भारत में पशु कानून के अनुसार:
- किसी भी पशु को बिना रजिस्टर्ड पशु चिकित्सक की निगरानी के दवा देना गैरकानूनी है।
- दवा तभी दी जा सकती है जब उसका चिकित्सकीय कारण और अनुमति हो।
इस केस में कोई भी वैध शर्त पूरी नहीं हुई।
निष्कर्ष:
5 ml एनेस्थीसिया देना निराश्रित गोवंश के साथ अमानवीयता, लापरवाही और अवैधानिक कार्रवाई है। यह प्रशासनिक सफाई के नाम पर पशु क्रूरता का स्पष्ट उदाहरण है।