
नरसिंहपुर में मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में वर्षों से जमे अधिकारियों का ट्रांसफर क्यों नहीं हो रहा? जानिए पूरी सच्चाई
नरसिंहपुर, मध्य प्रदेश:
मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (MPPKVVCL) के नरसिंहपुर कार्यालय में अधिकारियों और अभियंताओं के वर्षों से एक ही स्थान पर पदस्थ रहने का मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। जिले के उपभोक्ताओं और कर्मचारियों के बीच यह सवाल उठ रहा है कि आखिर क्यों कई सहायक अभियंता (AE) और जूनियर अभियंता (JE) 10-10 वर्षों से भी अधिक समय से जिले में जमे हुए हैं? क्या इसके पीछे कोई विशेष कारण है या फिर नियमों की अनदेखी की जा रही है?
वर्षों से एक ही जगह तैनात अधिकारी: नियमों की अनदेखी?
सरकारी विभागों में स्थानांतरण नीति (Transfer Policy) का पालन करना अनिवार्य होता है। इसका उद्देश्य है कि अधिकारी और कर्मचारी अलग-अलग क्षेत्रों में कार्य अनुभव प्राप्त करें, साथ ही किसी भी प्रकार की गुटबाजी, भ्रष्टाचार या अनियमितता की संभावना को कम किया जा सके। लेकिन नरसिंहपुर जिले में विद्युत वितरण कंपनी के कई अधिकारी और अभियंता 10-10 वर्षों से अधिक समय से एक ही स्थान पर कार्यरत हैं, जो नियमों के विपरीत है।
कौन-कौन से अधिकारी हैं वर्षों से पदस्थ?
सूत्रों के अनुसार, नरसिंहपुर जिले के मुख्यालय सहित तेंदूखेड़ा, गाडरवारा, करेली, सालीचौका, गोटेगांव जैसे क्षेत्रों में कई सहायक अभियंता और जूनियर अभियंता पिछले 8-12 वर्षों से पदस्थ हैं। इनमें से कुछ अधिकारियों के नाम तो उपभोक्ताओं और स्थानीय लोगों की जुबान पर हैं, क्योंकि वे वर्षों से वहीं कार्यरत हैं।
मध्य प्रदेश सरकार की स्थानांतरण नीति: 1 से 31 तक लागू
मध्य प्रदेश सरकार ने विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए स्पष्ट स्थानांतरण नीति लागू की है, जो 1 से लेकर 31 तक के स्थानांतरण के नियमों को कवर करती है। इस नीति के तहत, किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को अधिकतम 3-5 वर्षों तक एक ही स्थान पर रहने की अनुमति है, उसके बाद उनका स्थानांतरण अनिवार्य होता है।
ट्रांसफर न होने के कारण
- राजनीतिक दबाव: कुछ अधिकारी स्थानीय नेताओं के करीबी होते हैं, जिनके कारण ट्रांसफर रुक जाते हैं।
- प्रशासनिक लापरवाही: वरिष्ठ अधिकारी ट्रांसफर नीति को गंभीरता से नहीं लेते।
- व्यक्तिगत हित: बच्चों की पढ़ाई, परिवार की सुविधा जैसे कारण।
- स्थानीय नेटवर्किंग: ठेकेदारों और सप्लायर्स के साथ गठजोड़।
क्या हैं इसके दुष्परिणाम?
- भ्रष्टाचार की संभावना: लंबे समय से एक ही जगह पर रहने से पारदर्शिता घटती है।
- नवाचार में कमी: नए अधिकारियों की सोच और ऊर्जा नहीं आ पाती।
- जनता की समस्याएं अनसुनी: जवाबदेही की कमी।
उपभोक्ताओं और कर्मचारियों में नाराजगी
नरसिंहपुर जिले के उपभोक्ताओं का कहना है कि वर्षों से जमे अधिकारियों के कारण बिजली से जुड़ी समस्याओं का समाधान समय पर नहीं होता। कर्मचारियों में भी असंतोष है, क्योंकि मेहनती कर्मचारियों का ट्रांसफर होता है, जबकि कुछ अधिकारी वर्षों से वहीं हैं।
विभागीय वरिष्ठ अधिकारियों की चुप्पी
जब इस संबंध में विभागीय वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क किया गया तो उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। कुछ अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ट्रांसफर लिस्ट हर साल बनती है, लेकिन कुछ नाम बार-बार कट जाते हैं।
क्या कहती है सरकार?
मध्य प्रदेश सरकार ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि स्थानांतरण नीति का पालन किया जाए। 1 से 31 तक लागू इस नीति के तहत अधिकारियों का समय पर ट्रांसफर अनिवार्य है।
निष्कर्ष: कब होगी कार्रवाई?
नरसिंहपुर जिले में वर्षों से जमे अधिकारियों के ट्रांसफर न होने से उपभोक्ताओं और कर्मचारियों में असंतोष है। यह विभागीय पारदर्शिता और नियमों के पालन पर सवाल खड़े करता है। अब देखना होगा कि कब विभाग और सरकार सख्ती से कार्रवाई करते हैं।
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विनय श्रीवास्तव