10 वर्षों से जमे सहायक अभियंता प्रसून कुमार शर्मा का ट्रांसफर — नरसिंहपुर में प्रशासनिक सफाई की बड़ी शुरुआत! कमाई के खेल में लिप्त था पूरा तंत्र, आखिरकार टूटा “टाउन किंग” का कब्जा

10 वर्षों से जमे टाउन AE प्रसून शर्मा का नरसिंहपुर से ट्रांसफर
नरसिंहपुर, विशेष संवाददाता | SMP24NEWS
जिला नरसिंहपुर में बिजली विभाग के भीतर वर्षों से चली आ रही “कमाई की मंडी” में आखिरकार एक बड़ा झटका लगा है। सहायक अभियंता (टाउन) श्री प्रसून कुमार शर्मा, जो लगातार 10 वर्षों से नरसिंहपुर (ओएंडएम संभाग) में जमे हुए थे, को मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, जबलपुर द्वारा प्रशासनिक आधार पर डिंडोरी स्थानांतरित कर दिया गया है।
यह स्थानांतरण केवल एक साधारण प्रक्रिया नहीं, बल्कि उस गहरी व्यवस्था को झकझोरने वाली पहल मानी जा रही है, जिसमें अधीक्षण अभियंता अमित चौहान और कार्यपालन अभियंता विवेक जसेले की भूमिका लंबे समय से सवालों के घेरे में रही है।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, प्रसून शर्मा केवल एक अभियंता नहीं, बल्कि विभागीय लेन-देन का केंद्र बन चुके थे, और उन्हें पद पर बनाए रखने में इन वरिष्ठ अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी रही है।
10 साल से था अघोषित एकाधिकार
नियमों के अनुसार, किसी भी अधिकारी या कर्मचारी की एक ही स्थान पर अधिकतम पदस्थापना अवधि 3 वर्ष मानी जाती है। मगर प्रसून शर्मा का 10 वर्षों तक नरसिंहपुर में टिके रहना, खुद में एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।
उनके खिलाफ स्थानीय नागरिकों और विभागीय कर्मचारियों द्वारा लगातार शिकायतें की जाती रहीं, लेकिन हर बार शिकायतों को दबा दिया गया।
कमाई का नेटवर्क बना रखा था?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रसून शर्मा ने टाउन क्षेत्र में ट्रांसफार्मर, केबल, कनेक्शन और लाइन मेंटेनेंस के नाम पर एक गुप्त वसूली तंत्र खड़ा कर रखा था। उच्च अधिकारियों की मिलीभगत से हर महीने लाखों की ‘कमाई’ ऊपर तक पहुंचाई जाती थी।
ऐसे में यह ट्रांसफर, सिर्फ एक स्थानांतरण नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार की दीवार पर पड़ी पहली बड़ी दरार कहा जा रहा है।
नीता राठौर के निर्णय की सराहना
मुख्य महाप्रबंधक (मानव संसाधन एवं प्रशासन) श्रीमती नीता राठौर द्वारा जारी किए गए इस ट्रांसफर आदेश को स्थानीय जनता, जनप्रतिनिधियों और विभाग के ईमानदार कर्मचारियों ने एक साहसिक और ऐतिहासिक निर्णय बताया है।
उनका मानना है कि यदि ऐसे ही कदम आगे भी उठाए जाते रहे, तो बिजली विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम संभव है।
अब निगाहें अन्य जमे हुए अधिकारियों पर
इस ट्रांसफर के बाद, अब जिले में वर्षों से जमे अन्य अधिकारियों और बाबुओं की सूची भी चर्चा में है। लोग सवाल कर रहे हैं कि यदि प्रसून शर्मा का ट्रांसफर हो सकता है, तो शेष “सुरक्षित तैनात” अफसर कब हटेंगे?
अब सवाल जनता का
- क्या अब ट्रांसफर के बाद टाउन क्षेत्र में पारदर्शिता आएगी?
- क्या अधीक्षण अभियंता अमित चौहान और ईई विवेक जसेले पर भी कोई जांच होगी?
- क्या यह कार्रवाई केवल दिखावा है या शुरुआत?
अंत में, एक बात स्पष्ट है — 10 साल पुराना “दबदबा” अब खत्म हुआ है, और जनता बदलाव की उम्मीद करने लगी है।