18/07/2025

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दो-दो मंत्री फिर भी मनमानी! जिला आयुष विभाग में कंपाउंडर कार्यालय में तैनात, ग्रामीण मरीज बेहाल

दो-दो मंत्री फिर भी मनमानी! जिला आयुष विभाग में कंपाउंडर कार्यालय में तैनात

🚨 दो-दो मंत्री फिर भी मनमानी! जिला आयुष विभाग में कंपाउंडर कार्यालय में तैनात, ग्रामीण मरीज बेहाल

📍 नरसिंहपुर | विशेष संवाददाता, SMP24NEWS

“चार बाबू मौजूद होने के बावजूद कंपाउंडरों से कराया जा रहा दफ्तरी काम — जिम्मेदार चुप”

जिला आयुष कार्यालय, नरसिंहपुर में अधिकारियों की मनमानी और छाया संचालन पर अब सवालों की बौछार होने लगी है। जिले में दो-दो मंत्री होने के बावजूद आयुष विभाग में चल रही मनमर्जी पर कोई लगाम नहीं लग पा रही है।

खास बात यह है कि तीन कंपाउंडरों—संजीव सोनी, लोकमन धुर्वे और दीपक कतिया—को जिला औषधालय में अटैच करके कार्यालयी कामों में लगाया गया है, जबकि उनकी मूल तैनाती ग्रामीण आयुर्वेदिक औषधालयों में मरीजों की सेवा के लिए की गई थी।

👨‍⚕️ कंपाउंडरों की मूल नियुक्ति:

  • संजीव सोनी – शासकीय आयुर्वेदिक औषधालय, खैरी (मेहदा)
  • लोकमन धुर्वे – शासकीय आयुर्वेदिक औषधालय, उषरी (गोरखपुर)
  • दीपक कतिया – शासकीय आयुर्वेदिक औषधालय, मुर्गाखेड़ा

फिलहाल ये तीनों जिला कार्यालय में बैठकर फाइलें उठाने, डाक लाने-ले जाने, और फोटोकॉपी कराने जैसे कार्यों में व्यस्त हैं।

🙄 चार बाबू होने के बावजूद कंपाउंडर क्यों?

जिला आयुष कार्यालय में पहले से ही चार स्थायी सहायक ग्रेड-3 कर्मचारी पदस्थ हैं — भूपेंद्र दुबे, आदित्य शर्मा, अभिलाष कतिया, और राहुल गवांडे। इसके बावजूद कंपाउंडरों से दफ्तरी काम लेना साफ़ तौर पर मानव संसाधन का दुरुपयोग और सेवा नियमों का उल्लंघन है।

🎥 वीडियो साक्ष्य और स्वास्थ्य सेवाओं पर असर

SMP24NEWS को प्राप्त वीडियो में तीनों कंपाउंडर जिला कार्यालय में दफ्तरी कार्य करते साफ़ नज़र आ रहे हैं। इस अटैचमेंट का सीधा असर ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा है:

  • मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल रहा
  • औषधालयों में ताले लग रहे हैं
  • दवाओं का वितरण बाधित है
  • मरीजों को बिना इलाज के लौटना पड़ रहा है

🗣️ छाया संचालन और मौन प्रशासन

डॉ. सूर्यप्रकाश जोशी के पदभार संभालने के बाद व्यवस्था बदलने की उम्मीद थी। लेकिन सूत्रों के अनुसार, आज भी फैसले, स्टाफ की नियुक्तियाँ और कार्यालय संचालन पूर्व जिला आयुष अधिकारी डॉ. सुरतना सिंह चौहान के इशारे पर ही हो रहा है।

यह सवाल उठाता है कि क्या वर्तमान जिला आयुष अधिकारी स्वतंत्र निर्णय ले पा रहे हैं या किसी के “छाया निर्देशन” में काम कर रहे हैं?

❓ ज़रूरी सवाल:

  • जब चार बाबू हैं, तो कंपाउंडरों की जरूरत क्यों पड़ी?
  • ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की अनदेखी क्यों?
  • दो-दो मंत्रियों की मौजूदगी में भी यह मनमानी क्यों जारी है?
  • जिला प्रशासन और आयुष विभाग इस पर कब तक चुप रहेगा?

📢 SMP24NEWS की मांग:

  • कंपाउंडरों को तत्काल मूल पदस्थ स्थानों पर भेजा जाए
  • इस प्रकरण की विभागीय जांच हो
  • दोषी अधिकारी पर कार्रवाई की जाए
  • जनता की सेहत से समझौता नहीं चलेगा।

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